भूल गए जो अपना कहकर
याद वो आते हैं रह रहकर ।।
टूट गया हर रिश्ता उससे
फिर भी दिल में है वह दिलबर।।
बिखर गए हैं सपनें सारे
बहते है आंसू झर झर झर।।
तकती रस्ता नजर तरसती
आते जाते वो मेरे घर।।
टूटी साँसों सँग उम्मीदें
बात है केवल ठहरी लब पर ।।
कैसी प्रीत की' रीत है बोलो
जान भि ले जाता है रहबर।। ,...प्रीति सुराना
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