Wednesday 11 May 2016

'मातृ दिवस पर गोष्ठी'


       एक अरसे से मन में ख्वाहिश थी कि मैं स्थानीय साहित्य संस्थाओं से जुड़कर एक काव्यगोष्ठी आयोजित करुं।ये सपना पूरा हुआ जब बालाघाट से हिमांशु भैय्या का फ़ोन आया कि मातृदिवस पर गोष्ठी का आयोजन वारासिवनी में करने का विचार है। मैंने बिना सोचे तुरंत हां कर दी। पर ये मेरे घर में इस तरह का पहला आयोजन था तो थोड़ी घबराहट सी थी। पर डॉ.भारती सुराना चाची के निर्देशानुसार कवियों की लिस्ट बनाई हिमांशु जी सरिता जी एवं सहज जी से सभी साहित्यकारों के नंबर्स पर कॉल करके सभी को आमंत्रित किया। मानसून जी,मजूमदार जी,अशोक सिंहासने जी, डॉ. रामरिया,नीरद जी, अनुज तिवारी जी,बसंत वियूरकर जी, ऋतुपर्ण शुक्ला जी,अर्चना शुक्ला जी,राजेन्द्र शुक्ल सहज जी,अलका चौधरी जी,सविता सोनीजी, सरिता सिंघई जी,स्वप्निल डोंगरे लोक जी, प्रणय श्रीवास्तव जी ,मनोज पराशर जी,प्रदीप पटले जी, तूफानी जी सहित अन्य गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे। मेरे लिए सौभाग्य की बात यह की पूरी गोष्ठी में मेरा पूरा परिवार,मेरी ननद और बच्चे अपनी मित्र मण्डली सहित शामिल थे। परिवार के वरिष्ठ सदस्य विनोद कोचर फूफाजी,डॉ भारती सुराना चाची, तरुण भैया, विजय भैया, विनय भैया का सानिध्य और आशीर्वाद मिला। नगर अध्यक्ष विक्की पटेल जी का आगमन हमारे लिए गौरव का विषय रहा। संजय कासल जी, रीना कसल जी,संदीप रूसिया जी,कल्पना रूसिया जी,संजय रूसिया जी,अदिती रूसिया जी,आसिफ अंसारी जी, शानू सिंघई जी,नीलेश खंडेलवाल जी और मेरी सखी उषा खंडेलवाल उपस्थित रहे। मेरे पतिदेव समकित जी और बच्चे तन्मय जयति और जैनम के सहयोग से कार्यक्रम व्यवस्थित रूप से संपन्न हो पाया जिसके लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ सभी की। शाम 7 बजे से रात्रि 11:30 बजे तक सरस्वती वंदना से संध्या भोजन तक  कार्यक्रम जारी रहा। मां पर एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनने को मिली। एक बार फिर मैं इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी की तहे दिल से आभारी हूं।,..प्रीति सुराना

3 comments: