Sunday 6 August 2017

लेखा-जोखा

बड़े-बड़े सुख-दुख शब्दों में ढाल देती हूं,
जो पाया जीवन से लेखन में डाल देती हूं,
हर बड़े सबक का मैंने लेखा-जोखा रक्खा है,
छोटी-मोटी बातें तो हँसकर टाल देती हूं,...

प्रीति सुराना

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