Monday 2 October 2017

हँसी का नकाब

जो मेरे आंसुओं का सबब रहे हैं
कभी भी
वो जान लें
रोती रही अब तक सिर्फ अपनों के लिए
अब जब न अपने रहे
न अपनापन
तो रहेगा इस चेहरे पर हँसी का नकाब हमेशा-हमेशा
अब ये मत पूछ लेना कभी
कि चेहरे पर ये बेवजह की हँसी
किसलिए और किसके लिए,..??

प्रीति सुराना

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