Saturday 7 October 2017

मरने से पहले

मैंने कभी नहीं चाहा
कि तुम आओ
समय की तरह
मेरी जिंदगी में
अच्छे या बुरे बनकर
और फिर छोड़ जाओ
अच्छी बुरी यादें देकर,..

न ही मैं ये चाहती हूं
कि तुम आओ
मेरी जरूरत,
सपनें, ख्वाहिश
या सुख-दुख बनकर
और खत्म हो जाओ
एक ही बार पूरे होकर,..

मैंने हमेशा यही चाहा
तुम जब भी आओ
आना बस जिंदगी बनकर,...
सुनो!!
मैं तुम्हें जीना चाहती हूँ
खोने और पाने के डर से परे
मरने से पहले,...जी भरकर,...

(एक खयाल
गीत
तुम पुकार लो, तुम्हारा इन्तज़ार है, 
मुक़्तसर सी बात है, तुम से प्यार है
सुनते हुए
बस यूँ ही,... 😊😔😌)

प्रीति सुराना

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